tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post3445913626291476639..comments2023-09-18T21:46:52.029+05:30Comments on गवाक्ष: गवाक्ष – मई 2013सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-62242497743159654052013-05-24T02:18:51.058+05:302013-05-24T02:18:51.058+05:30आज की जलती, तड़पती दुनिया में हर समझदार दिल की यही...आज की जलती, तड़पती दुनिया में हर समझदार दिल की यही पुकार है --<br /><br />काश, नफ़रत की जमी कमाई हमेशा को धुले,<br /><br />घुल सके तो ज़िंदगी में प्यार का अमृत घुले <br /><br />इस शे'र का प्रत्येक शब्द प्राण जी की ग़ज़लों में उनकी sincerity का हॉल मार्क है.<br /><br />प्राण जी, धन्यवाद और हार्दिक बधाई ,<br /><br />महेन्द्र दवेसर 'दीपक'Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-89859080471649699702013-05-24T02:03:34.197+05:302013-05-24T02:03:34.197+05:30आज की जलती, तड़पती दुनिया में हर समझदार दुखी व्यक...आज की जलती, तड़पती दुनिया में हर समझदार दुखी व्यक्ति की पुकार गुंजारित करता है प्राण जी का यह शे'र --<br /><br />काश, नफ़रत की जमी काई हमेशा को धुले <br /><br />घुलसके तो ज़िन्दगी में प्यार का अमृत घुले <br /><br /><br /><br />इस शे'र के प्रत्येक शब्द में जो sincerity उभर कर आई है, वह प्राण जी की ग़ज़लों का 'हॉल मार्क' है. <br /><br /><br /><br />प्राण जी , हार्दिक बधाई! <br /><br />महेन्द्र दवेसर 'दीपक'Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-36471456912658592202013-05-19T07:23:49.071+05:302013-05-19T07:23:49.071+05:30bhai pran sharma jee ki gajle bahut prabhav shali ...bhai pran sharma jee ki gajle bahut prabhav shali hoti hain jo hamesha man ko chhu leti hain.idhar atwal jee ka upanyaas ansh bhee achchha chal rahaa hai jo manovaigaanik satar par har patr ko vishleshit karta hai,sundar. ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-15797238901969621042013-05-18T09:20:09.413+05:302013-05-18T09:20:09.413+05:30प्रिय सुभाष जी,
प्राण शर्मा जी ने मुझे ‘गवाक्ष’ स...प्रिय सुभाष जी,<br /><br />प्राण शर्मा जी ने मुझे ‘गवाक्ष’ से परिचित कराया| मै २०१३ का अंक देखा|<br /><br />विभिन्न देशों के साहित्यकारों को समीप लाने का बहुत अच्छा प्रयत्न है| सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं| आपको तथा ‘गवाक्ष’ से सम्बंधित सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई|<br /><br />-दिनेश श्रीवास्तव.<br /><br />मेल्बर्न, ऑस्ट्रेलिया Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-37498482736583922122013-05-15T20:44:03.588+05:302013-05-15T20:44:03.588+05:30एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का
ठण्डे मन से सुनिये...एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का<br />ठण्डे मन से सुनियेगा बीमार की बातें<br />----<br /><br />काश, नफ़रत की जमी काई हमेशा को धुले<br />घुल सके तो ज़िन्दगी में प्यार का अमृत घुले <br /><br />प्राण साहब की ग़ज़ले पढ़ कर हर बार कुछ-न-कुछ नया सीखने को मिलता है. ये चारों ग़ज़ले भी अमरता से ओतप्रोत हैं girish pankajhttps://www.blogger.com/profile/16180473746296374936noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-72696725804064663302013-05-15T12:01:25.736+05:302013-05-15T12:01:25.736+05:30छू नहीं पाया अभी आकाश की ऊँचाइयाँ
खाक छूएगा कोई ...छू नहीं पाया अभी आकाश की ऊँचाइयाँ <br />खाक छूएगा कोई पाताल की गहराइयाँ <br /><br />इतना भी नादां किसीको समझिये मत साहिबो <br />हर किसीमें होती हैं थोड़ी-बहुत चतुराइयां <br /><br />हर समस्या का कोई न कोई हल है दोस्तो<br />गाँठ हाथों से न खुल पाए तो दाँतों से खुले <br /><br />तुमने देखे हैं मुस्काती आँखों में आंसू लेकिन <br />मैंने रोती हुई आँखों में मुस्कानों को देखा है <br /><br />ज़िन्दगी की हर छोटी बडी बात को सरलता और सहजता से कहने का हुनर तो सिर्फ़ प्राण जी में ही है …………उनके शेर रूह में उतरते हैं और प्राणों में उल्लास का संचार करते हैं।<br />vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-17527248783153145532013-05-14T16:42:13.316+05:302013-05-14T16:42:13.316+05:30एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का
ठण्डे मन से सुनि...एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का <br />ठण्डे मन से सुनियेगा बीमार की बातें ...<br /><br />कितना सहज कह दिया मन के भावों को ... शायद ये खूबी प्राण साहब की हर गज़ल की खासियत है ... मज़ा आ गया सबी गज़लों को पढ़ने के बाद ...<br />हरजीत साहब के उपन्यास की ये कड़ी भी बहुत प्रभावी है ... गज़ब की शैली है उनकी ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-64812725232832491242013-05-14T15:01:46.024+05:302013-05-14T15:01:46.024+05:30आदरणीय प्राण जी
नमस्कार ;
आपको पढ़कर कभी रो देत...आदरणीय प्राण जी <br />नमस्कार ;<br /><br />आपको पढ़कर कभी रो देता हूँ , कभी मुस्करा देता हूँ . कभी चुप हो जाता हूँ , मुझे अक्सर लगता है की काश मैं आपकी तरह लिख पाता , कितने कम शब्दों में आप कितना ज्यादा कह देते है . वैसे तो आपकी गजले ही श्रेष्ठ है , पर मेरे मनपसंद शेरो में ये कुछ शेर है : <br /><br />इनसे करके देखिएगा प्यार की बातें कभी <br />आपको अच्छी लगेंगी आपकी तन्हाइयाँ <br /><br />--- मैं भी अक्सर अपनी तन्हाईयों से बाते कर लेता हूँ . और वही से बहुत कुछ सम्जः में भी आ जाता है .<br /><br />औरों की सुनिए भले ही शौक़ से लेकिन <br />पहले सुनिए अपने ही परिवार की बातें <br /><br />------- ये एक बहुत बड़ी बात कह गए आप .. हम सब बाहरवालों को सुनने में मगरूर रहते है लेकिन अपने घर की ही नहीं सुन पाते है . बहुत सच्ची बात . <br /><br />अपनों को बेगाने बनते तुमने देखे हैं माना <br />मैंने लेकिन अपने बनते बेगानों को देखा है <br /><br />----इस फानी दुनिया में अक्सर ऐसा भी होता है की कुछ बेगाने ही अपने बन जाते है .. <br /><br />काश, नफ़रत की जमी काई हमेशा को धुले <br />घुल सके तो ज़िन्दगी में प्यार का अमृत घुले <br /><br />-- काश हर कोई इस बात को समझे तो दुनिया में बन जाए .<br /><br />क्यों न हो उस पर किसीका हाथ मेरे दोस्तो <br />कोई लावारिस सा बच्चा क्यों मुहल्लों में रुले <br /><br />-- इस शेर ने रुला दिया ... <br /><br />आप कमाल का लिखते है प्राण जी , सच्ची , मेरा सलाम कबुल करे. <br /><br />आपका ही <br />विजय vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-28867550946493467552013-05-14T14:59:53.848+05:302013-05-14T14:59:53.848+05:30प्राण शर्मा जी को पढना बहुत अनूठा अनुभव है. प्राण ...प्राण शर्मा जी को पढना बहुत अनूठा अनुभव है. प्राण शर्मा जी की ये गजलें जैसे दुनियादारी सिखाती हैं, और गहरी बातें यूँ सहजता से सामने आती है जैसे हम से ही हमारे लिए कही गई हों. साक्षी भाव भी और आशावादिता भी...<br /><br />एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का <br />ठण्डे मन से सुनियेगा बीमार की बातें <br /><br />अपनों को बेगाने बनते तुमने देखे हैं माना <br />मैंने लेकिन अपने बनते बेगानों को देखा है<br /><br />हर समस्या का कोई न कोई हल है दोस्तो<br />गाँठ हाथों से न खुल पाए तो दाँतों से खुले<br /><br />प्राण शर्मा जी को बहुत बहुत बधाई. इनकी ग़ज़लों को हम सभी से साझा करने के लिए सुभाष जी का धन्यवाद.<br /><br /> डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-37709697676257148122013-05-14T01:49:01.111+05:302013-05-14T01:49:01.111+05:30एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का
ठण्डे मन से सुनि...एक ये भी नुस्खा है तीमारदारी का <br />ठण्डे मन से सुनियेगा बीमार की बातें <br /><br /><br />इतना भी नादां किसीको समझिये मत साहिबो <br />हर किसीमें होती हैं थोड़ी-बहुत चतुराइयां <br /><br /><br />भीड़ भरे बाज़ारों में भी बंद पडी हैं सालों से <br />मैंने जाने ऐसी कितनी दूकानों को देखा है <br /><br /><br />माना , पल में बनते हैं और मिटते हैं पल में मगर <br />पानी ही बनते हैं आखिर पानी के सब बुलबुले <br /><br /><br />- मन छूती हुई -बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-40003163713837271172013-05-13T20:21:30.857+05:302013-05-13T20:21:30.857+05:30यार नीरव,
प्राण जी तो गज़लों के शाहंशाह हैं. सभी ...यार नीरव, <br /><br />प्राण जी तो गज़लों के शाहंशाह हैं. सभी गज़लें मन को छूती हैं. वास्तविकता प्राण जी की गज़लों की खासियत है. उन्हें और तुम्हे बधाई.<br /><br />एक उपन्यासकार के रूप में हरजीत ने पंजाबी साहित्य में महत्वपूर्ण मकाम कायम कर लिया है. उनका हर उपन्यास उल्लेखनीय है---उस कड़ी में यह उपन्यास भी.<br /><br />उन्हें मेरी हार्दिक बधाई.<br /><br />रूपसिंह चन्देल रूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.com