tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post6811172606783500519..comments2023-09-18T21:46:52.029+05:30Comments on गवाक्ष: गवाक्ष – मार्च 2011सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-84552316750758769662011-03-19T11:59:25.463+05:302011-03-19T11:59:25.463+05:30बस इतना ही कह सकती हूँ , वाह! क्या खूब लिखा है...|...बस इतना ही कह सकती हूँ , वाह! क्या खूब लिखा है...|<br />प्रियंकाप्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-11038766902259035012011-03-17T20:21:22.272+05:302011-03-17T20:21:22.272+05:30श्री जग्गी कुस्सा की रचना अपनी लोकधर्मी गुणों से ...श्री जग्गी कुस्सा की रचना अपनी लोकधर्मी गुणों से पाठकों को प्रभावित करती है।Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-25255704068068935312011-03-16T16:21:17.887+05:302011-03-16T16:21:17.887+05:30सादर प्रणाम !
इसका उत्तर देने के लिए तो
हमारे खेतो...सादर प्रणाम !<br />इसका उत्तर देने के लिए तो<br />हमारे खेतों का<br />एक सरसों का फूल ही काफ़ी है.<br />कोमल भावनाओं में रची-बसी<br />खूबसूरत रचना के लिए<br />शिवचरण जग्गी कुस्सा जी को<br />हार्दिक बधाई।<br />सम्मानिया सुभाष जी कोया भी आभार कि हम तक उम्दा कवियों कि रचनाये पहुचाते है ,<br />सादर !सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-60417418927758220272011-03-15T15:24:59.458+05:302011-03-15T15:24:59.458+05:30KAVITAYEN PRABHAVSHAALEE HAIN .
ANUVAAD BHEE SRAHN...KAVITAYEN PRABHAVSHAALEE HAIN .<br />ANUVAAD BHEE SRAHNIY HAI .PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-78970949428415238142011-03-15T14:48:49.644+05:302011-03-15T14:48:49.644+05:30गर्व न कर तू- कविता की गहराई बनावटी जीवन पर गहरा प...गर्व न कर तू- कविता की गहराई बनावटी जीवन पर गहरा प्रहार करती है और नैसर्गिक सौन्दर्य की सही व्याख्या करती है ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-44680910245865512712011-03-14T20:07:42.181+05:302011-03-14T20:07:42.181+05:30इसका उत्तर देने के लिए तो
हमारे खेतों का
एक सरसों ...इसका उत्तर देने के लिए तो<br />हमारे खेतों का<br />एक सरसों का फूल ही काफ़ी है.....<br /><br />कोमल भावनाओं में रची-बसी <br />खूबसूरत रचना के लिए <br />शिवचरण जग्गी कुस्सा जी को <br />हार्दिक बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-19803084928653422842011-03-14T14:47:51.985+05:302011-03-14T14:47:51.985+05:30तेरे ये कार्ड
मेरे पंजाब के ढाबों
या रेहड़ियों पर न...तेरे ये कार्ड<br />मेरे पंजाब के ढाबों<br />या रेहड़ियों पर नहीं चलते !<br />***<br />अंहकार न कर तू<br />अपने विशाल 'विले' का<br />इसका उत्तर तो<br />हमारे खेत वाला<br />अकेला ‘कोठा’ ही दे सकता है !<br />***<br /><br />बहुत मर्मस्पर्शी कविताएं.<br /><br />बधाई,<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.com