tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post236479188924896643..comments2023-09-18T21:46:52.029+05:30Comments on गवाक्ष: गवाक्ष – अगस्त 2010सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-45379648555675734772010-08-27T01:09:39.055+05:302010-08-27T01:09:39.055+05:30शिल्पगतरूप में सुगठित एवं भावसंपन्न ---
रचना द्वार...शिल्पगतरूप में सुगठित एवं भावसंपन्न ---<br />रचना द्वारा सच्चाई को उजागर करके <br />आपने पाठकों पर बड़ा उपकार<br />किया है। बधाई स्वीकारिए।<br /> सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-24399805754500385882010-08-20T10:37:27.977+05:302010-08-20T10:37:27.977+05:30सुभाष जी अर्पण जी की खूबसूरत गजलें पढवाने का धन्यव...सुभाष जी अर्पण जी की खूबसूरत गजलें पढवाने का धन्यवाद. बहुत साफ सुथरे अल्फाज में आईने सी साफ साफ बात. अच्छी लगीं.डा सुभाष रायnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-19105629438580556982010-08-19T20:21:41.596+05:302010-08-19T20:21:41.596+05:30आर्पण जी की ग़ज़ल अद्भुत गहराई लिए हुए और बेहद सहज...आर्पण जी की ग़ज़ल अद्भुत गहराई लिए हुए और बेहद सहज है.नीरव जी कमाल का चुनाव बधाई.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-36563092513345452892010-08-19T19:43:28.242+05:302010-08-19T19:43:28.242+05:30आदमी बहुत कुछ बन गया है मगर
ना बना आदमी आदमी के लि...आदमी बहुत कुछ बन गया है मगर<br />ना बना आदमी आदमी के लिए।<br /><br />यार बहुत ही खूबसूरत गज़ल. तुम्हारे ब्लॉग्स के माध्यम से मुझे गज़लें पढ़ने का चस्का लग गया है.<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-89877887759402333752010-08-19T08:11:47.178+05:302010-08-19T08:11:47.178+05:30शहर आ कर अँधेरों में जो खो गया
निकला गाँव से था रो...शहर आ कर अँधेरों में जो खो गया<br />निकला गाँव से था रोशनी के लिए<br />इक़बाल अर्पण साहब की यह पूरी ग़ज़ल आम आदमी को केन्द्र में रखती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें शाब्दिक चमत्कार की कोई कोशिश नहीं की गई है।बलराम अग्रवालnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-5273747974701898232010-08-18T17:42:49.623+05:302010-08-18T17:42:49.623+05:30आदमी बहुत कुछ बन गया है मगर
ना बना आदमी आदमी के लि...आदमी बहुत कुछ बन गया है मगर<br />ना बना आदमी आदमी के लिए इक़बाल जी की ग़ज़ल का यह शेर तो गागर में सागर है ।सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-77160188767356115562010-08-18T11:42:19.427+05:302010-08-18T11:42:19.427+05:30सब के पीने के पीछे कोई राज़ है
कोई पीता नहीं मयकशी...सब के पीने के पीछे कोई राज़ है<br />कोई पीता नहीं मयकशी के लिए<br /><br />वाह इस नायाब शायर की ग़ज़ल हम तक पहुँचाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया...आप यकीनन बहुत नेक काम कर रहे हैं...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-6744116647880586612010-08-17T23:56:39.681+05:302010-08-17T23:56:39.681+05:30bahut bahut sunder rachna. man bheeg gaya ise padh...bahut bahut sunder rachna. man bheeg gaya ise padh kar.<br /><br />aabhar ise padhane ke liye.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.com