tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post3875787830081362286..comments2023-09-18T21:46:52.029+05:30Comments on गवाक्ष: गवाक्ष- जून 2008सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-35881938148209135772009-01-09T14:17:00.000+05:302009-01-09T14:17:00.000+05:30gavaksh ka naya ank dekha.batuk ji,seema maitra,il...gavaksh ka naya ank dekha.batuk ji,seema maitra,ila prasad poornima burman sabhi ki kavitaen achhi hain.visheshkar seema ji ki khusbu,ila ji ki kitab rachnaen behatrin hain.Harjeet Atwal ko padhna hamesha hi achha lagta hai.सुभाष चंदरhttps://www.blogger.com/profile/00585183360241790022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-64742959256997000582008-06-21T18:00:00.000+05:302008-06-21T18:00:00.000+05:30तसलीम जी, तेजेन्द्र जी, नवराही जी, चैताभ जी और नीर...तसलीम जी, तेजेन्द्र जी, नवराही जी, चैताभ जी और नीरज जी, आपकी बहुमूल्य टिप्पणियों के लिए मैं आप का आभारी हूँ। आशा है, भविष्य में भी "गवाक्ष" पर आपकी टिप्पणियां मिलती रहेंगी।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-41486127619510569902008-06-16T15:32:00.000+05:302008-06-16T15:32:00.000+05:30सुभाष जीदिव्या जी की रचनाएँ "गवाक्ष" में देख कर बह...सुभाष जी<BR/>दिव्या जी की रचनाएँ "गवाक्ष" में देख कर बहुत खुशी हुई. मैंने भी अपने ब्लॉग पर उनकी कुछ रचनाओं को पोस्ट किया था. वे विलक्षण प्रतिभा की लेखिका हैं. जीवन के खट्टे मीठे अनुभवों को बहुत खूबसूरती से लफ्जों का जामा पहनाती हैं. उनको पढ़ना अपने आप में एक अलग ही अनुभव है. उम्मीद है भविष्य में भी आप उनकी और रचनाएँ प्रकाशित करेंगे.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-82812218423416223272008-06-16T06:20:00.000+05:302008-06-16T06:20:00.000+05:30अच्छा प्रयास है आपका- कुमार मुकुलअच्छा प्रयास है आपका- कुमार मुकुलविचार - पुनर्विचारhttps://www.blogger.com/profile/07906080801900445771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-8237173560894532682008-06-15T23:07:00.000+05:302008-06-15T23:07:00.000+05:30आदरणीय सुभाष जी, नमस्कारगवाक्ष के जून अंक में दिव...आदरणीय सुभाष जी, नमस्कार<BR/>गवाक्ष के जून अंक में दिव्या माथुर की छोटी कविताएं भावपूर्ण थीं। शीघ्र मैं भी प्रवासी पंजाबी कवियों की कुछ रचनाओं का अनुवाद भेजूंगा।<BR/><BR/><BR/>-- <BR/>Navyavesh NAVRAHI<BR/>Chief Sub Editor<BR/>Magazine Section<BR/>DAINIK BHASKAR<BR/>SCO-16, Puda Complex, Ladowali Road, JALANDHAR (PB) INDIA.<BR/>e-mails<BR/>navrahi@rediffmail.com,navrahi@yahoo.com<BR/>Mobile-<BR/>+91 98150 70059<BR/>Office Direct +91 181 3985365<BR/>Blog<BR/>http://navrahi.blogspot.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-70961008735137634202008-06-15T23:06:00.000+05:302008-06-15T23:06:00.000+05:30Subhash jee, Divya Mathur kee pahla jhooth se leka...Subhash jee,<BR/> Divya Mathur kee pahla jhooth se lekar<BR/> akhree jhooth tak kee sabhee kavitayen<BR/> main pahle hee padh chuka hoon.<BR/> Jhooth par unkee chunee das kavitaon<BR/> ko dobara padh kar maza aa gaya hai.<BR/> Jhooth par aadharit haal hee prakashit<BR/> unke kavya-sangrah-Jhooth,jhooth aur<BR/> jhooth kee sabhee kavitayen man aur<BR/> mastishk ko jhakjhortee hain.<BR/> Pran SharmaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-56418620658451483782008-06-15T23:05:00.000+05:302008-06-15T23:05:00.000+05:30भाई सुभाष जी दिव्या के नये कविता संग्रह झूठ.. झूठ....भाई सुभाष जी<BR/> <BR/>दिव्या के नये कविता संग्रह झूठ.. झूठ...झूठ... का फ़्लैप मैटर भेज रहा हूं - जो कि मैने लिखा है।<BR/> <BR/>झूठ के माध्यम से सच की तलाश.....<BR/>ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई कवि या कवयित्री एक ही विषय को ले कर एक पूरा संग्रह ही रच डाले। दिव्या माथुर इस माने में एक अपवाद मानी जा सकती हैं जिन्होंने इससे पहले अपने तीन कविता संग्रहों को एक ही विषय पर केन्द्रित रखा है, रेत का लिखा (विषय – रेत), तेरा ख़्याल (विषय – ख़्याल), 11 सितम्बर – सपनों की राख तले ( विषय - 11 सितम्बर के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर का हादसा) । और अब वह अपने पाठकों के सामने ला रही हैं अपना नया कविता संग्रह झूठ, झूठ झूठ जिसका विषय रखा है झूठ।<BR/>दिव्या माथुर उन कवियों में से नहीं हैं जो अपने भीतरी सच की तलाश में भटकते रहते हैं और पाठक के साथ संवाद स्थापित करने में पूरी तरह से असफल हो जाते हैं। कविता की वक्रता को बरक़रार रखते हुए वे सरल शब्दों में अपनी बात अपने पाठक तक पहुंचा देती हैं। दिव्या थिसॉरस ले कर झूठ के भिन्न भिन्न अर्थ बताने का काम नहीं करती हैं बल्कि झूठ के वजूद को ख़ुद महसूस करती हैं और अपने पाठकों के साथ बांटती हैं। झूठ केवल एक भाव मात्र नहीं है। दिव्या माथुर के कविता संग्रह में झूठ एक हाड़ मांस का ठोस चरित्र के रूप में उभर कर आता है जिसे न केवल महसूस किया जा सकता है, बल्कि साक्षात देखा जा सकता है। झूठ और सच का अन्तर दिव्या महसूस करती हैं, उन्हें साथ साथ देखती हैं, "कौओं की / काँव काँव के बीच / मैना का / एक सुरीला स्वर / यूँ उगा / जैसे कीचड़ में खिला / कमल / जैसे झूठ के ग़र्त में / सच की ज्योति / या सीप से निकला मोती!"<BR/>दिव्या जीवन के हर पहलू, हर क्षेत्र में झूठ को देखती हैं, पहचानती हैं, और अपने पाठक के साथ बांटती हैं। वह जानती हैं कि सबसे कठिन है पहला झूठ बोलना। एक बार झूठ बोल दिया तो फिर कहीं कोई झिझक बाक़ी नहीं रह जाती।"जली हुई रुई की बत्ती / बड़ी आसानी से जल जाती है / नई बत्ती / जलने में /बड़ी देर लगाती है / आसान हो जाता है / रफ़्ता रफ़्ता / है बस पहला झूठ ही/ मुश्किल से निकलता." दिव्या इस सच से भी वाक़िफ़ हैं कि हम सब उस समय हमारे जीवन का सबसे बड़ा झूठ बोलते हैं जब हम कहते हैं कि हम झूठ नहीं बोलते, " अपने झूठ का / ढिंढोरा / हम ख़ुद ही पीटते हैं /ये सोचकर कि / हमसे सच्चा कोई नहीं /डंके की चोट पर / झूठ बोलते हैं. "<BR/>दिव्या के इस संग्रह की कविताएं छोटी छोटी कविताएं हैं जो बड़ी बात कहती हैं। ये कुछ ख़्याल हैं झूठ के बारे में जिनके माध्यम से दिव्या हमें सच्च के दर्शन करवाती हैं। कहा जा सकता है कि यह कविता संग्रह झूठ के माध्यम से सच की तलाश यात्रा है, जिसमें दिव्या पूर्ण रूप से सफल हैं। हिन्दी कविता क्षेत्र में इस कविता संग्रह का खुले दिल से स्वागत होगा।<BR/> -तेजेन्द्र शर्मा, लंदनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-32283821334332418312008-06-15T23:04:00.000+05:302008-06-15T23:04:00.000+05:30“Gavaksh” sahit apke sabhi blog hindi ke liye achh...“Gavaksh” sahit apke sabhi blog hindi ke liye achha prayaas hai. gavaksh ka sanklan is baar bi bahoot achha hai. badhai. jhoot series per divay ji ki dil ko chho lene wali rachnayen hain. <BR/><BR/>-tasleem ahmed<BR/>new delhi<BR/>tslm_hmd@yahoo.com<BR/>9971216101Anonymousnoreply@blogger.com