tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post6663820940381087679..comments2023-09-18T21:46:52.029+05:30Comments on गवाक्ष: गवाक्ष - दिसंबर 2008सुभाष नीरवhttp://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-84923403777517178032008-12-21T16:24:00.000+05:302008-12-21T16:24:00.000+05:30भाई सुभाष, अटवाल का उपन्यास लगातार पढ़ रहा हूं. वटु...भाई सुभाष, <BR/><BR/>अटवाल का उपन्यास लगातार पढ़ रहा हूं. वटुक की कविता अच्छी लगी. <BR/><BR/>तुम बहुत काम करते हो . ईर्ष्या होती है.<BR/><BR/>बधाई.<BR/><BR/>चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-52929953037797781972008-12-20T13:55:00.000+05:302008-12-20T13:55:00.000+05:30आपका प्रयास सराहनीय है.आपका प्रयास सराहनीय है.अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3373418343297232067.post-37095778596985776272008-12-20T13:42:00.000+05:302008-12-20T13:42:00.000+05:30वही सब ग़ज़नवी अन्दाज होगावतन के लूटने का काज होगाशह...वही सब ग़ज़नवी अन्दाज होगा<BR/>वतन के लूटने का काज होगा<BR/>शहीदों ने कभी सोचा नहीं था<BR/>उन्हीं के क़ातिलों का राज होगा<BR/><BR/>बहुत बहुत सुंदर और सम्कीलीन यथार्थ का सटीक चित्रण करती कविता मन मुग्ध करती है.<BR/><BR/>अभी तो जल्दबाजी में समस्त रचनाएँ नही पढ़ पाई हूँ,पर सहेजकर अपने पास रख लिया है.<BR/>इतना कहना चाहूंगी की आपका प्रयास सराहनीय है.इसके लिए हम आपके आभारी हैं.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com