मंगलवार, 19 जुलाई 2011

धारावाहिक पंजाबी उपन्यास(किस्त- 39)




सवारी

हरजीत अटवाल
हिंदी अनुवाद : सुभाष नीरव



॥ चौवालीस ॥

सुबह दुकान के शटर उठाते हुए अजमेर गुस्से से भरा पड़ा था। शिन्दा फिर सतनाम की तरफ चला गया था। जाते समय कुछ बताकर नहीं गया था। एक दो दिन और रुक जाता तो क्या फ़र्क पड़ जाता। टोनी भी आज तीन बजे काम पर आने के लिए कहकर गया हुआ था। अजमेर को लगा कि दुकान से जैसे सभी ऊबे पड़े हैं। गुरिंदर भी बहुत अच्छी तरह बात नहीं कर रही थी। बच्चों ने भी उसके इंडिया से लौटने पर कोई चाव नहीं दिखाया था।
अजमेर अभी काम करने के मूड में नहीं था। वह अभी इंडिया के सुरूर में ही था। उसको मिंदो की हँसी की टनकार अभी भी सुनाई दे रही थी। उसको गाँव की गलियों के गोबर की खुशबू अभी भी महसूस हो रही थी। धूप की चुभन भी चुभ रही थी। विवाह में जो उसकी गुड्डी चढ़ी थी, उसकी खुशी उसके अन्दर पहले की भाँति ही तारी थी, पर शिन्दे ने उसको ये दुकान खोलने में लगा दिया था। वह इतनी जल्दी इस रूटीन में नहीं घुसना चाहता था।
उसने दुकान खोली। गल्ले पर खड़ा होकर मिंदो के बारे में सोचने लगा। वह कितनी जल्दी तैयार हो गई थी और पहले दिन ही उसको जीत लिया था। बदले में अजमेर ने भी उसको खुश कर दिया था। शिन्दे की कमाई तो उसको दी ही थी और साथ ही, एक लाख एडवांस भी दे दिया जिसे शिन्दे की तनख्वाह में से उसे काटते रहना था। ट्रैक्टर बेचकर सारे पैसे उसके नाम जमा करवा दिए और और भी बहुत कुछ। भान्जी के विवाह की सारी चौधर भी मिंदो के पास ही थी। वापस लौटते अजमेर के पास तो गिनती के पौंड ही बचे थे। वह खड़ा दुकान में था लेकिन उसका मन पंडोरी में ही घूम रहा था। एक ग्राहक दुकान में आया तो उसका ध्यान टूटा। ग्राहक ने चोरी करने की कोशिश की तो अजमेर ने आगे बढ़कर रोक दिया। एक और ग्राहक आया तो वह वाइन की बोतल की कीमत को लेकर झगड़ पड़ा और जाते हुए उसको 'पाकि' की गाली दे गया। अजमेर अब इंडिया से वापस वर्तमान में लौटने लगा। तभी, एक गोरा चोरी की शराब बेचने आ गया। उसके साथ भाव तय करता हुए अजमेर पूरी तरह अपने वर्तमान में वापस आ चुका था।
उसने सेल बुक चैक की। सेल कुछ कम हुई थी पर अधिक नहीं जैसा कि उसे डर था। फिर कागज उठाकर खत्म हुई वस्तुओं की सूची बनाने लग पड़ा। कल उसे शॉपिंग के लिए जाना था। माल डिलीवर करवाना मंहगा पड़ रहा था।
जब वह लिस्ट बना रहा था, गुरिंदर नीचे आ गई। वह बहुत गुस्से में थी। अजमेर ने पूछा-
''तेरा मुँह क्यों सूजा हुआ है ?''
''जैसे तुम्हें पता ही न हो।''
''कुछ बोलो भी।''
''रात में बलदेव को क्यो अपसेट किया ?''
''मैंने उसे क्या अपसेट करना है, अपसेट तो वह मुझे करता घूमता है। हमेशा ही पराया बनकर रहता है। मेरी तरफ ऐसे देखेगा जैसे पहली बार देख रहा हो।''
''यह भी कोई तरीका था कहने का कि वो दरवाज़ा है... आख़िर तुम्हारा छोटा भाई है।''
''अगर छोटा भाई है तो मेरी किसी बात का गुस्सा नहीं करेगा।''
''भाई के साथ-साथ शरीक भी है। तुम्हें ज़रा सोच समझकर बात करनी चाहिए। तुमने उसको नाराज़ कर दिया। उसके जाने के बाद सभी दुखी हो गए थे और तुम्हें कोई फिक्र ही नहीं, एक ड्रिंक और लिया और जाकर बैड पर लेट गए।''
गुरिंदर का गला भर गया। अजमेर उसको खुश करते हुए बोला-
''तू जैसा कहे कर लेता हूँ। उसे सॉरी कह देता हूँ। उसको जाकर मना लाता हूँ। मुझे उसका एड्रेस बता, मैं आज ही होकर आता हूँ या फोन कर लेता हूँ, पर तू गम न कर।''
''मुझे उसके फोन का नहीं पता, न ही उसका एड्रेस मालूम है।''
''तू तो उसका फ्लैट साफ करने गई थी।''
''वही मुझको ले गया था और छोड़ गया था, फुल्हम में है कहीं।''
''चल, तू कूल डाउन हो जा। मैं उसके आफिस में कंटेक्ट कर लूंगा।''
''मैं कैसे कूल डाउन हो जाऊँ। बच्चे भी गुस्से में हैं, बलदेव उनका फेवरेट चाचा जी है।''
''मेरे साथ तो उन्होंने अच्छी तरह हैलो भी नहीं की।''
''हैलो कैसे करते, वे तो तुम्हारे संग विवाह पर जाना चाहते थे।''
''पर उस समय क्यों नहीं बोले। अगर कहते तो मैं ले ही जाता।''
''मैंने तुमसे कहा तो था, पर तुमने मेरी कोई बात सुनी ही नहीं। क्या मालूम तुम्हारे सफ़र में कोई विघ्न पड़ता हो, उनके संग जाने से।''
अजमेर को लगा कि गुरिंदर ने कोई बात ताने के रूप में कही थी। उसने टालते हुए कहा-
''या तो यहाँ मेरे साथ कोई काम कर, या फिर ऊपर जाकर रोटी का इंतज़ाम कर, रात में भी कुछ नहीं खाया।''
गुरिंदर ऊपर चली गई। अजमेर शिन्दे को लेकर सोचने लगा। अब शिन्दे को उसके साथ ही काम करना चाहिए था। वह उसकी एडवांस तनख्वाह जो दे आया था। इसके अलावा अब उसको शिन्दे पर पहले से ज्यादा मोह आने लगा था। उसके लौटते समय मिंदो ने कई ताकीदें की थीं। अजमेर ने मिंदो के बेटे गागू के बारे में भी सोचना था और लड़कियों के बारे में भी। अब शिन्दे का किसी दूसरे के लिए काम करना उससे देखा नहीं जाएगा। सतनाम के लिए काम करता तो वह बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था। जब से शिन्दा सतनाम के साथ काम करने लगा था, सतनाम तो खाली ही हो गया था। कई कई चक्कर तो हाईब्री कॉर्नर के ही लगाता। दुकान के सामने से गुज़रता हॉर्न बजाकर जाता। उसने काम भी बढ़ा लिया था। यह सब शिन्दे के कारण ही था। शिन्दा के दुकान पर खड़े होने से चोरी के चांस कम हो जाते होंगे। इसलिए सतनाम ज्यादा देर तक बाहर रह सकता था। यदि शिन्दा उसके साथ काम करता है तो वह सौ पौंड भी दे सकता है। टोनी को किसी तरह हटा देगा।
उसने टोनी को हटा देने के बारे में पहले भी सोचा था। अपने अकाउंटेंट से इस बात को लेकर सलाह की तो उसने कहा था कि चूंकि टोनी उसके साथ काफ़ी समय से कानूनन काम कर रहा है, इसलिए रिटैंडैंसी देकर ही हटाया जा सकता था, जो कि काफ़ी बन जाती। यदि टोनी स्वयं छोड़ता था तो कुछ नहीं देना पड़ता। वह मन ही मन सारी योजना बनाता दुकान में इधर-उधर घूम रहा था। यदि टोनी काम छोड़ता है तो वह सतनाम से शिन्दे को आसानी से मांग सकता था। नहीं तो सीधे किसी बहाने के बगैर ऐसा करना कठिन था।
टोनी आया। वह बात को घुमाकर छुट्टियों पर ले आया और पूछने लगा-
''छुट्टियों पर कब जा रहा है टोनी ?''
''ऐंडी, कैसी छुट्टियाँ। मेरे खर्चे ही पूरे नहीं होते। मेरी यह गर्ल फ्रेंड खर्चीली है, पैसे लिए बिना किसी काम को हाँ नहीं करती। फिर मेरे फ्लैट का किराया, दूसरे बिल और किस्तें... कुछ न पूछ... फिर शैनी(शिन्दे) के आने पर तुमने मेरा ओवर टाइम भी बन्द कर दिया था।''
''टोनी यदि मेरी सलाह माने तो तेरे सारे मसले हल हो सकते हैं। छुट्टियाँ भी काट लेगा और तेरा हाथ भी खुला हो जाएगा।''
''वह कैसे ?''
''तू डोल (बेकारी) पर चला जा, पहली बीवी का खर्च भी बन्द हो जाएगा, फ्लैट का किराया और रेट भी मुआफ... सोशल सिक्युरिटी भी मिलेगी और शाम को मेरे साथ काम भी करता रह... हिसाब लगाकर देख, इस तरह तू बहुत सुखी रहेगा।''
टोली हिसाब लगाने लगा। अजमेर ने पेपर-पेन उठाया और लिखकर उसको समझाने लगा। वाकई, उस तरीके से काम न करके टोनी की जेब में पैसे ज्यादा पड़ते थे। टोनी ने कहा-
''रिटैडैंसी मनी कितनी देगा ?''
''वह मैं तुझे ज्यादा नहीं दे सकता। हाँ, छुट्टियों का खर्चा दे दूंगा।''
टोनी के लिए छुट्टियाँ एक सपने की भाँति थीं। अफ्रीका का टिकट, फिर वहाँ के लिए खर्चा आदि, कहाँ से निकाल सकता था यह सब। उसका मन ललचाने लगा। कुछ सोचते हुए उसने कहा-
''अगर तू रिटेंडैंसी नहीं देगा तो इसका मतलब मैं खुद काम छोड़ूंगा ?''
''नहीं, मैं तुझे सैक दूंगा(बर्खास्त करूँगा), पेपरों में तू मुझे बिना बताये अफ्रीका चला जाएगा, इसी कारण मैं तुझे काम से निकाल दूंगा और तू सोशल सिक्युरिटी के दफ्तर में जाकर क्लेम कर देना।''
''ऐंडी, इंडिया में बैठा तू यही सोचता रहा है ?''
''टोनी, मैं तो तेरा सदा ही फायदा सोचता हूँ, इंडिया में होऊँ या यहाँ।''
(जारी…)
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