मंगलवार, 6 सितंबर 2011

गवाक्ष – सितम्बर 2011




जनवरी 2008 “गवाक्ष” ब्लॉग के माध्यम से हम हिन्दी ब्लॉग-प्रेमियों को विदेशों में रह रहे हिन्दी/पंजाबी के उन लेखकों/कवियों की समकालीन रचनाओं से रू-ब-रू करवाने का प्रयास करते आ रहे हैं जो अपने वतन हिन्दुस्तान से कोसों दूर रहकर अपने समय और समाज के यथार्थ को अपनी रचनाओं में रेखांकित कर रहे हैं। “गवाक्ष” में अब तक विशाल (इटली), दिव्या माथुर (लंदन), अनिल जनविजय (मास्को), देवी नागरानी(यू।एस.ए.), तेजेन्द्र शर्मा(लंदन), रचना श्रीवास्तव(लंदन), पूर्णिमा वर्मन(दुबई), इला प्रसाद(यू एस ए), भगत धवन (डेनमार्क), चाँद शुक्ला (डेनमार्क), वेद प्रकाश ‘वटुक’(यू एस ए), रेखा मैत्र (यू एस ए), तनदीप तमन्ना (कनाडा), प्राण शर्मा (यू के), सुखिन्दर (कनाडा), सुरजीत(कनाडा), डॉ सुधा धींगरा(अमेरिका), मिन्नी ग्रेवाल(कनाडा), बलविंदर चहल (न्यूजीलैंड), बलबीर कौर संघेड़ा(कनाडा), शैल अग्रवाल (इंग्लैंड), श्रद्धा जैन (सिंगापुर), डा. सुखपाल(कनाडा), प्रेम मान(यू.एस.ए.), (स्व.) इकबाल अर्पण, सुश्री मीना चोपड़ा (कनाडा), डा. हरदीप कौर संधु(आस्ट्रेलिया), डा. भावना कुँअर(आस्ट्रेलिया), अनुपमा पाठक (स्वीडन), शिवचरण जग्गी कुस्सा(लंदन), जसबीर माहल(कनाडा), मंजु मिश्रा (अमेरिका) आदि की रचनाएं और पंजाबी कथाकार-उपन्यासकार हरजीत अटवाल के उपन्यास “सवारी” के हिंदी अनुवाद की उनतालीसवीं किस्त आपने पढ़ीं। “गवाक्ष” के सितम्बर 2011 अंक में प्रस्तुत हैं – कनाडा से पंजाबी कवि सुखिंदर की कविता तथा हरजीत अटवाल के धारावाहिक पंजाबी उपन्यास “सवारी” की चालीसवीं किस्त का हिंदी अनुवाद…

कनाडा से
सुखिंदर की कविता

छठा दरिया
हिन्दी रूपांतर : सुभाष नीरव


पंजाबियों को पंजाब के
पाँच दरियाओं से मोह है…

पर, अब जो छठा दरिया भी
बह रहा है
उसका क्या करेंगे?

यह छठा दरिया
नशों का दरिया है
जिसमें डूब रहा है
हर कोई अपनी ही
मन-मर्जी से

शाम होते ही
रंगीन होने लगता है माहौल
छलकने लगते हैं गिलास
फिर, देखते ही देखते
कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध
सब कुछ डूब जाता है
बह रहे छठे दरिया में

पंजाबियों को, पंजाब के
पाँच दरियाओं के मोह है
पर, छठे दरिया के पानियों का
आकर्षण ही कुछ ऐसा है
कि देश-विदेश के अनेक
बहु-चर्चित ‘कबड्डी खेल मेले’
महज़, ‘ड्रग स्मगलिंग मेले’
बनकर रह गए हैं
और खिलाड़ी
कबड्डी के खेल में जीत हासिल करने की जगह
‘ड्र्ग स्मगलर’ बनकर
चर्चा का विषय बन रह हैं…

पंजाबियों को पंजाब के
पाँच दरियाओं से मोह है –
पर छठे दरिया के पानियों का जादू
अपनी विद्वता का पांडित्व
दिखाने के उतावलेपन में गुम
अनेक क्रांतिकारियों की चेतना में उभरे
पता नहीं कितने
राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक इंकलाब
झाग बनकर तैरने लगते हैं
अध-भरे व्हिस्की के गिलासों में

और फिर
जैसे ही नशा अपना असर दिखाता है
उनको लगता है –
बस, इंकलाब आया कि आया
मानो, इंकलाब कमरे के बाहर कहीं
दहलीज़ पर खड़ा हो…
00
सुखिन्दर
कैनेडा में एक कैनेडियन पंजाबी लेखक के तौर पर सन् 1975 से सक्रिय। कैनेडा से पंजाबी में छपने वाले खूबसूरत मैगज़ीन “संवाद” के सन् 1989 से संपादक। टोरंटो (कैनेडा) के पंजाबी रेडियो प्रोग्राम “जागते रहो” के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और होस्ट। कविता, फिक्शन और विज्ञान विषयों पर अब तक 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। सन् 1975 में हरियाणा भाषा विभाग द्वारा ‘बेस्ट बुक अवार्ड’ से सम्मानित। इसके अतिरिक्त ऑन्टारियो आर्टस कौंसल ग्रांट, कैनेडा (1986 और 1988 ), द कैनेडा कौंसल ग्रांट(1995), इंटरनेशल अवार्ड (1993 और 1996) प्राप्त।
सम्पर्क : Box 67089, 2300 Yonge St.,
Toronto ON M4P 1E0 Canada
Tel. (416) 858-7077
Email:
poet_sukhinder@hotmail.com

2 टिप्‍पणियां:

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

मन को उद्वेलित करने वाली बेहतरीन रचना.... सुखिन्दर जी को मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति!