जनवरी 2008 “गवाक्ष” ब्लॉग के माध्यम से हम हिन्दी ब्लॉग-प्रेमियों को विदेशों में रह रहे हिन्दी/पंजाबी के उन लेखकों/कवियों की समकालीन रचनाओं से रू-ब-रू करवाने का प्रयास करते आ रहे हैं जो अपने वतन हिन्दुस्तान से कोसों दूर रहकर अपने समय और समाज के यथार्थ को अपनी रचनाओं में रेखांकित कर रहे हैं। “गवाक्ष” में अब तक विशाल (इटली), दिव्या माथुर (लंदन), अनिल जनविजय (मास्को), देवी नागरानी(यू।एस.ए.), तेजेन्द्र शर्मा(लंदन), रचना श्रीवास्तव(लंदन), पूर्णिमा वर्मन(दुबई), इला प्रसाद(यू एस ए), भगत धवन (डेनमार्क), चाँद शुक्ला (डेनमार्क), वेद प्रकाश ‘वटुक’(यू एस ए), रेखा मैत्र (यू एस ए), तनदीप तमन्ना (कनाडा), प्राण शर्मा (यू के), सुखिन्दर (कनाडा), सुरजीत(कनाडा), डॉ सुधा धींगरा(अमेरिका), मिन्नी ग्रेवाल(कनाडा), बलविंदर चहल (न्यूजीलैंड), बलबीर कौर संघेड़ा(कनाडा), शैल अग्रवाल (इंग्लैंड), श्रद्धा जैन (सिंगापुर), डा. सुखपाल(कनाडा), प्रेम मान(यू.एस.ए.), (स्व.) इकबाल अर्पण, सुश्री मीना चोपड़ा (कनाडा), डा. हरदीप कौर संधु(आस्ट्रेलिया), डा. भावना कुँअर(आस्ट्रेलिया), अनुपमा पाठक (स्वीडन), शिवचरण जग्गी कुस्सा(लंदन), जसबीर माहल(कनाडा), मंजु मिश्रा (अमेरिका), सुखिंदर (कनाडा) और देविंदर कौर (यू के) आदि की रचनाएं और पंजाबी कथाकार-उपन्यासकार हरजीत अटवाल के उपन्यास “सवारी” के हिंदी अनुवाद की इकतालीसवीं किस्त आपने पढ़ीं। “गवाक्ष” के जनवरी अंक में प्रस्तुत हैं – नीरू असीम(कैनेडा) की पंजाबी कविता तथा हरजीत अटवाल के धारावाहिक पंजाबी उपन्यास “सवारी” की बयालीसवीं किस्त का हिंदी अनुवाद…
कैनेडा से
नीरू असीम की कविता
पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव
लड़की
उसने लड़की को कहा
तू चिड़िया, तू हवा
लड़की उड़ती रही
और समझती रही
वह चिड़िया, वह हवा
उसने लड़की से कहा
तू तो अबला बहुत
लड़की हैरान थी
फिर भी चुप ही रही
मान गई सहज भाव से
लगी प्रतीक्षा करने
सुर्ख उजाले के राह
उसने लड़की से कहा
जाग ऐ दुर्गा माँ
लड़की ने ज़िन्दगी को
मोर्चा बना लिया
कदम कदम पर
युद्ध का
बिगुल बजा लिया
और लड़की लड़ती रही
खत्म होती रही
मरती रही
फिर लड़की ने कहा
मैं सहज रूह हूँ
मैं सहज प्राण हूँ
मैं कुछ और नहीं
न मेरे लिए
कोई अलग निज़ाम
न मेरे अन्य नाम
न न्यारे पैगाम
मैं वही हूँ जो हूँ
मैं युगों से युगों तक
एक सिलसिला
मैं सहज रूह हूँ
मैं सहज प्राण हूँ
फिर लड़की ने कहा
मैं कोई और नहीं...
00
(यह कविता पंजाबी कवयित्री सुरजीत के ब्लॉग 'सृजनहारी' में पंजाबी में प्रकाशित हुई है)
कवयित्री का ई मेलjindal_neeru@yahoo.ca
नीरू असीम की कविता
पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव
लड़की
उसने लड़की को कहा
तू चिड़िया, तू हवा
लड़की उड़ती रही
और समझती रही
वह चिड़िया, वह हवा
उसने लड़की से कहा
तू तो अबला बहुत
लड़की हैरान थी
फिर भी चुप ही रही
मान गई सहज भाव से
लगी प्रतीक्षा करने
सुर्ख उजाले के राह
उसने लड़की से कहा
जाग ऐ दुर्गा माँ
लड़की ने ज़िन्दगी को
मोर्चा बना लिया
कदम कदम पर
युद्ध का
बिगुल बजा लिया
और लड़की लड़ती रही
खत्म होती रही
मरती रही
फिर लड़की ने कहा
मैं सहज रूह हूँ
मैं सहज प्राण हूँ
मैं कुछ और नहीं
न मेरे लिए
कोई अलग निज़ाम
न मेरे अन्य नाम
न न्यारे पैगाम
मैं वही हूँ जो हूँ
मैं युगों से युगों तक
एक सिलसिला
मैं सहज रूह हूँ
मैं सहज प्राण हूँ
फिर लड़की ने कहा
मैं कोई और नहीं...
00
(यह कविता पंजाबी कवयित्री सुरजीत के ब्लॉग 'सृजनहारी' में पंजाबी में प्रकाशित हुई है)
कवयित्री का ई मेलjindal_neeru@yahoo.ca
2 टिप्पणियां:
सुंदर प्रस्तुति!
Very beautiful and meaningful poem. Neeru is a wonderful poetess.
एक टिप्पणी भेजें