शनिवार, 29 मई 2010

गवाक्ष – मई 2010



“गवाक्ष” ब्लॉग के माध्यम से हम हिन्दी ब्लॉग-प्रेमियों को हिन्दी/पंजाबी के उन प्रवासी लेखकों/कवियों की समकालीन रचनाओं से रू-ब-रू करवाने का प्रयास करते आ रहे हैं जो अपने वतन हिन्दुस्तान से कोसों दूर बैठकर अपने समय और समाज के यथार्थ को अपनी रचनाओं में रेखांकित कर रहे हैं। “गवाक्ष” में अब तक पंजाबी कवि विशाल (इटली) की कविताओं का हिन्दी अनुवाद, दिव्या माथुर (लंदन) की कहानी, अनिल जनविजय (मास्को) की कविताएं, न्यू जर्सी, यू।एस.ए. में रह रहीं देवी नागरानी की ग़ज़लें, लंदन निवासी कथाकार-कवि तेजेन्द्र शर्मा, रचना श्रीवास्तव, दिव्या माथुर की कविताएं, दुबई निवासी पूर्णिमा वर्मन की कविताएं, यू एस ए में रह रहीं हिन्दी कथाकार-कवयित्री इला प्रसाद, डेनमार्क निवासी कवि भगत धवन की कविताएँ और चाँद शुक्ला की ग़ज़लें, यू एस ए निवासी कवि वेद प्रकाश ‘वटुक’ तथा कवयित्री रेखा मैत्र की कविताएं, कनाडा अवस्थित पंजाबी कवयित्री तनदीप तमन्ना की कविताएं, यू के अवस्थित हिन्दी कवि-ग़ज़लकार प्राण शर्मा की ग़ज़लें, कैनेडा में अवस्थित पंजाबी कवि सुखिन्दर की कविताएं, कनाडा निवासी पंजाबी कवयित्री सुरजीत, अमेरिका अवस्थित डॉ सुधा धींगरा, कनाडा में अवस्थित हिंदी- पंजाबी कथाकार - कवयित्री मिन्नी ग्रेवाल की कविताएं, न्यूजीलैंड में रह रहे पंजाबी कवि बलविंदर चहल की कविता, कैनेडा में अवस्थित पंजाबी लेखिका बलबीर कौर संघेड़ा की कविताएं, इंग्लैंड से शैल अग्रवाल की पाँच कविताएं, सिंगापुर से श्रद्धा जैन की ग़ज़लें, इटली में रह रहे पंजाबी कवि विशाल की कविताएं, यू एस ए में रह रहीं हिन्दी कथाकार-कवयित्री इला प्रसाद की एक लघुकथा और पंजाबी कथाकार-उपन्यासकार हरजीत अटवाल के उपन्यास “सवारी” के हिंदी अनुवाद की चौबीसवीं किस्त आपने पढ़ीं। “गवाक्ष” के मई 2010 अंक में प्रस्तुत हैं – कैनेडा निवासी पंजाबी कवि डा. सुखपाल की कविता तथा पंजाबी कथाकार-उपन्यासकार हरजीत अटवाल के धारावाहिक पंजाबी उपन्यास “सवारी” की पचीसवीं किस्त का हिंदी अनुवाद…


कैनेडा से
डा. सुखपाल की पंजाबी कविता

शब्दो तुम आना
हिंदी रूपांतर : सुभाष नीरव

शब्दो तुम आना
चुपचाप, सहज-सहज
मुंडेर पर आ बैठे
और फिर उड़ गए कबूतरों की तरह
छोटी-छोटी 'गुटर-गूं' करते

आँधी की तरह न आना
कि मुझे किसी वाद की छत के तले छिपना पड़े
या किसी विवाद की डाल को पकड़ना पड़े

तुम आना हुमकती हवा की तरह
जो तन को लगे तो आँखें मुंद-मुंद जाएँ
मन की खिड़कियाँ खुल-खुल जाएँ
फूलों की महक को
मेरे अन्दर आने के लिए राह मिले...

तुम आना उस सुरूर की तरह
जिसके बाद जीने का डर नहीं रहता
जिसके बाद सहज हो जाता है
हर संध्या-समय
बालों को फूलों से गूंथ लेना
पर फूलों को व्यर्थ तोड़ने वाली
कलाई पकड़कर रोक लेना...

सुन्दर शब्दो !
तुम मात्राओं के फीतों से बंधे
मज़दूरों की भांति न आना
तुम 'गगनमै थाल'¹ गाते हुए आना
या आना किसी दिव्य-पुरुष के तीर की तरह...

तुम आना उस टहनी की तरह
जो बदन पर गहरे नील नहीं
बल्कि पीछे छोड़ जाती हैं फूल...

मेरे अपनो !
तुम ऐसे आना
कि तुम्हें गाते हुए
मैं अपने आप तक पहुँच जाऊँ।
0
1-श्रीगुरूग्रंथ साहिब में 'सोहिला' शीर्षक अधीन एक खास वाणी की पंक्ति 'गगनमै थालु रवि चंद दीपक बने'।
(तनदीप तमन्ना के पंजाबी ब्लॉग ''आरसी'' से साभार)


डा. सुखपाल
निवास : कैनेडा
शिक्षा : वेटरिनरी साइंस में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना से डिग्री(1982)
और यूनिवर्सिटी ऑफ गुअलफ़, कैनेडा से डॉक्टरेट(1995)।
संप्रति : अध्यापन( एनिमल एनस्थीजिआ यूनिवर्सिटी आफ गुअलफ, कैनेडा)
पुस्तकें : चुप चुपीते चेतर चढ़िया(2003), रहणु किथाऊ नाहि( 2007 )

धारावाहिक पंजाबी उपन्यास(किस्त- 25)

सवारी
हरजीत अटवाल
हिंदी अनुवाद : सुभाष नीरव




॥ तीस ॥
करीब ग्यारह बजे पॉल राइडर ने अपनी टोयटा वैन लाकर 'सिंह वाइन्ज़' के आगे खड़ी की और छोटा-सा हॉर्न बजाकर अन्दर की ओर झांकने लगा। अजमेर उसे देखकर तेजी से आया और वैन में उसके बराबर बैठ गया। पॉल पूछने लगा-
''हाउ यू डूइंग ?''
''फाइन।''
पॉल ने वैन राउंड अबाउट से घुमाकर हौलोवे रोड पर डाल ली। कुछ देर बाद उसने अजमेर से पूछा-
''ऐंडी, तू वैदरस्पून को जानता है ?''
''जिसकी पबों की चेन है।''
''हाँ, वह मेरा दोस्त है। किसी ज़माने में हम इकट्ठे बार मैन हुआ करते थे।''
''मुझे पता है जब उसने आर्चवे में पहला पब खरीदा था, अब वो मिलयनेअर है, कई सौ पब होगा उसका।''
''हाँ ऐंडी, बहुत लक्की है। मेरे से सलाह लेने आता रहा, बस मैंने टिक कर काम नहीं किया। कभी चिप्पी बन गया और कभी पलम्बर, पर वह मन मारकर लगा रहा।''
''बस, चांस मिलने की बात है पॉल।''
''हाँ, उसने हमेशा मैनेजरों के सिर पर काम चलाया और इस बरूरी को कोई मैनेजर ठीक नहीं मिला, नहीं तो यह पब भी ठिकाने का था।''
''बरूरी का पब था ?''
''हाँ, स्मूथ बिटर का, मैं तो इस पब में आता रहा हूँ।''
पॉल किसी पब के बिकने की खबर लाया था। अजमेर ने उसे कह रखा था कि ढंग का पब बिकाऊ हो तो बताये। फिंचली में लोंग लेन पर एक पब बन्द पड़ा था जो बिक रहा था। पॉल ने एजेंट से बारह बजे मिलने का समय तय कर रखा था। इस पब के लिए पॉल उसके साथ आधी हिस्सेदारी में खड़ा होने को तैयार था। इससे अजमेर की पब खरीदने की इच्छा को बल मिला। जब पॉल को इस पब के बिकाऊ होने का पता चला तो वह तुरन्त अजमेर के पास आया था और पब की तारीफें करने लगा था।
यह जो 'थेच्ड हाउस' पब था, यह सिर्फ़ शीला का था। पॉल उसका ब्वॉय फ्रेंड था, पर मालिक की भांति रहता था और इस्तेमाल करता था। शीला को यह पब उसके पहले पति रौबी से तलाक के समय हिस्से के रूप में मिला था। अजमेर को याद था कि पहले इसके मैनेजर जल्दी-जल्दी बदलते रहते थे। पब ढंग से चलता नहीं था। पॉल ने आकर इसे अच्छा-खासा बिजी कर दिया था। पब में उमड़ने वाली भीड़ से अजमेर के बिज़नेस को भी फायदा हुआ था। पब में आए लोग सिगरेट-कंडोम आदि लेने आ जाते। सभी यही कहते थे कि पॉल को बिज़नेस करना आता था।
वे बारह बजे से पहले ही पब के सामने पहुँच गए। एजेंट अभी आया नहीं था। पॉल अजमेर को पब के आसपास का इलाका दिखाने लगा। वैन को घुमाते हुए बोला-
''ऐंडी, देख कितने घर हैं। इनमें कितने लोग रहते हैं। इतनी लम्बी लोंग लेन है पर ये पब यहाँ एक ही था। पब के आगे पॉर्क देख कितना बड़ा... गर्मियों में तो यहाँ इतनी भीड़ होनी चाहिए कि खड़े होने को जगह न मिले। इतना बढ़िया ठिकाना है, पर अगर मैनेजमेंट खराब है तो ठिकाना क्या करेगा। मैं होता इसका मैनेजर तो देखता तू...।''
ऐसी बातें करते हुए वे पब के कार पॉर्क में आ गए। इस्टेट एजेंट भी पहुँच चुका था। उसने उन्हें सारा पब घुमा कर दिखलाया, अन्दर से, बाहर से, नीचे-ऊपर, सेलर और गार्डन। ऊपर फ्लैट में पूरे घर की रिहायश थी। नीचे सेलर इतना खुला था कि स्टॉक रूम बन सकता था। पब का खुला हॉल था। सीटें भी नई थीं। एजेंट हर चीज़ की तारीफ कर रहा था और एजेंट के साथ-साथ पॉल भी ताईद कर रहा था। पब की कीमत दो लाख पाउंड थी जबकि इस इलाके के घरों की कीमत ही ढाई लाख थी। कीमत इसलिए कम थी कि कुछेक काम होने वाला था। कंपनी को बेचने की भी जल्दी थी। कंपनी की नई पॉलिसी के अनुसार बन्द पड़े पब को जल्दी से जल्दी बेचना चाहते थे। एजेंट ने पॉल और अजमेर को सलाह करने के लिए अकेला छोड़ दिया। पॉल बोला-
''ऐंडी, कीमत बहुत जायज है। दो लाख में ऐसी बड़ी प्रॉपर्टी नहीं मिलेगी। यह बार यहाँ से हटा कर दीवार से लगा दी जाए, यहाँ एक तरफ डांस फ्लोर बन जाए, अधिक खर्च करने की ज़रूरत ही नहीं, यह बढ़ईगिरी का काम मैं खुद ही कर लूंगा, बहुत बढ़िया मौका है।''
अजेमर हाँ में सिर हिलाता रहा था। उसने एजेंट से कहा-
''पब हमें पसंद है, अभी और सलाह कर लें। तुम्हें फोन करेंगे।''
''ठीक है, पर कीमत बहुत जायज है। इसमें फ्लैक्सेबिलिटी नहीं है।'' कहता हुआ एजेंट एक तरफ चल दिया और पॉल और अजमेर वैन में आ बैठे। पॉल बोला-
''नो फ्लैक्सेबिलिटी, मॉय फुट। हमारी अपनी प्राइस है, हम अपनी ऑफर देंगे।''
थोड़ा और आगे आकर पॉल ने कहा-
''ऐंडी, पब मुझे चलाना आता है। पब में भीड़ उमड़ती है बैंड के कारण। बढ़िया बैंड हो तो लोग कैसे न आएं। नौजवानों को माडर्न बैंड पसंद है, अधेड़ लोग दूसरी तरह का संगीत पसंद करते हैं और आयरिश लोग कंटरी साइड संगीत को तरजीह देते हैं।''
अजमेर को पॉल की बातें अच्छी लग रही थीं। वह अपना विचार बताते हुए कहने लगा-
''कोई लक्की ड्रा शुरू कर लो, कोई कंपीटिशन आदि।''
''हाँ, बहुत कुछ हो सकता है। पब चलाना कभी भी मुश्किल नहीं। बस ठिकाना बढ़िया हो। चलाने के लिए एक नहीं तो दूसरा तरीका बरता जा सकता है। संगीत नहीं तो स्ट्रिपटीज, दोपहर का खाना भी सहायक होता है। ऐंडी, और भी बहुत से रास्ते हैं, तू मेरे संग खड़ा हो आधी हिस्सेदारी में, हम पब ले लेते हैं।''
''पॉल, सोचते हैं। कुछ और सोच कर इस स्कीम को मैच्योर करते हैं।''
अजमेर इतनी जल्दी हाँ करने वाला नहीं था। उसने पूछा-
''यह पब शीला की नज़र में नहीं पड़ा ?''
''शायद पड़ा हो, शीला में हिम्मत नहीं। उसके बेटा-बेटी तो साथ नहीं देते। ये पब भी मेरे कारण ही चलता है। तुझे बताया था कि मैं अपने भविष्य के बारे में सोचता हूँ, मुझे बच्चा चाहिए जो मेरे खानदान का नाम आगे चला सके और शीला अब इस काबिल नहीं रही।''
अजमेर इस पब की ओर खिंचा जा रहा था। पॉल की बातें उसे सही प्रतीत हो रही थीं। लोंग लेन काफी लम्बी सड़क थी जिस पर अन्य कोई पब भी नहीं था। इसके चल पड़ने के बहुत चांस थे लेकिन पॉल के संग आधे हिस्से वाली बात जच नहीं रही थी। व्यापार में आधा हिस्सा डालना बहुत बड़ी बात होती है। वह पॉल को जानता ही कितना था। पता नहीं, व्यापारिक संबंधों में वह कैसा हो। यह भी सच ही था कि पॉल के पास पब चलाने का हुनर था। यदि वह अकेला ही यह पब खरीद ले तो फिर शायद चले भी न। गोरों का इलाका था। पब का प्बलिक डीलिंग का बिज़नेस होता है। एशियन बन्दे को गोरे पब के मालिक के रूप में देखना पसंद भी करेंगे कि नहीं। कई तरह के ख़याल उसके मन में आ रहे थे। इन ख़यालों में से निकलकर उसने पॉल को कहा-
''दो लाख तो पब का हुआ, ऊपर और कितने लगेंगे ?''
''यही कोई दसेक ग्रैंड, और दो लाख तो वह मांग रहा है, हम ऑफर देंगे...कुछ तो घटायेंगे।''
''ठीक है, कल एक अस्सी की ऑफर दे दें ?''
''बिलकुल ठीक, एक नब्बे में सौदा हो जाने पर दो में पब तैयार।''
''ठीक है, हम वर्क आउट करते हैं कि पल्ले से कितने लगाने हैं और लोन कितना चाहिए।''
''ऐंडी, लोन की कोई प्रॉब्लम नहीं। फ्री होल्ड प्रॉपटी है। एक बैंक मैनेजर मेरा दोस्त है, सत्तर-अस्सी फीसदी कर्ज़ा दे देगा।''
''कर्ज़ा भी हिसाब से ही लेंगे पॉल, अगर डेढ़ लाख कर्ज़ा हुआ तो पचास हजार पास से डालना पड़ेगा।''
बातें करते हुए वे हाईब्री पहुँच गए। पॉल ने वैन अजमेर की दुकान के आगे रोक ली। पॉल ने कहा-
''ऐंडी, अच्छी तरह सोचकर फैसला कर ले। मैं तो बिलकुल तैयार हूँ। पब के काम का तू फिक्र न करना। सारा काम मैं करूँगा, तू बेशक आराम से यह दुकान चलाए जाना।''
''ठीक है पॉल, बाद में बात करते हैं।''
कहते हुए अजमेर उतर गया।
अब अजमेर के मन में हर वक्त पब का भूत सवार रहने लगा। जब से उनके एक गाँववाले ने पब खरीदा था, तब से ही अजमेर भी पब के बारे में सोचने लग पड़ा था। घर पहुँच कर उसने पॉल के संग देखे पब के बारे में बात की। गुरिंदर बेपरवाह-सी बोली-
''मुझे क्या, जैसा मर्जी हो करो। तुम चारो भाइयों ने खुद ही पिये जानी है। आने जाने वाला भी पब में ही उतरेगा।''
''ऐसा नहीं होगा, साथ में गोरा पार्टनर भी तो होगा।''
''गोरा पार्टनर क्यों ? ये गोरे भी कभी किसी के सगे होते हैं।''
यह गोरे पार्टनर वाली बात गुरिंदर को कुनैन की तरह लगी। अजमेर ने सोचा कि उसके संग बात करने का कोई फायदा नहीं। वह किसी न किसी के संग बात करनी चाहता था। अगर टोनी के साथ बात करता तो उसने सबको बताकर पहले ही शोर मचा देना था। शिन्दे के बारे में वह सोचता कि इसे यहाँ के व्यापार की क्या समझ हो सकती है। वह सतनाम की तरफ चल पड़ा। उसके संग यह सब साझा किया जा सकता था। वह कोई सलाह भी दे सकता था। रास्ते में जो भी पब आता, उसे वह बहुत गौर से देखता। लोंग लेन वाला पब इनमें से सबसे सुन्दर लगता।
जब वह पहुँचा, सतनाम फुरसत-सी में ही खड़ा मिला। अजमेर ने सारी कहानी बताई। वह उसके संग पब देखने के लिए लोंग लेन की तरफ चल पड़ा। पब उसे भी बहुत पसंद था। उसने कहा-
''भाई, बाकी तो सब ठीक है, पर यह पॉल के आधे वाली बात सही नहीं।''
''वह कैसे ?''
''मुझे यह आदमी ज़रा डौजी लगता है, उधर तो शीला रखी हुई है, इधर यह लिन के साथ रहता है। मैं उस लड़की को जानता हूँ। अब तो शायद प्रैगनेंट ही हो, कुछ दूसरे ढंग से ही चला करती है।''
''हो सकता है, शीला से इसकी बनती नहीं, बच्चे के लिए तरस रहा है।''
''बस फिर, शीला बांझ है और इसने लिन को रख लिया है और अब यह थैच्ड हाऊस में से मूव होने के चक्कर में है। और यह नया पब इसके लिए बढ़िया मौका है।''
''इससे हमें क्या मतलब। हमें तो यह देखना है कि यह अपने कितना काम आ सकता है, आ भी सकता है कि नहीं।''
''भाई, तू अकेला ले।''
''इस बारे में भी मैंने बहुत सोचा है। एक तो गोरों का इलाका है, दूसरा इस काम की हमें अभी समझ भी नहीं है।''
''बात तो ठीक है, डेढ़ लाख पाउंड की किस्त कितनी आएगी महीने की ?''
''पंद्रह सौ पाउंड के करीब आएगी। मैं सोचता हूँ कि अगर पब अपनी किस्त ही निकाले जाए तो बहुत है। बीच में पड़कर काम का भी पता चल जाएगा। अगर पॉल ठीक चला तो ठीक, नहीं तो उसका हिस्सा देकर एक तरफ करेंगे।''
''ठीक है फिर, ले लो रिस्क।'' सतनाम ने कहा।
अजमेर का पक्का मन बन गया। उसने एजेंट को फोन किया। जैसा पॉल और उसने सोचा था, एक लाख नब्बे हजार में सौदा हो गया। एजेंट ने सौदे के तय हो जाने के कारण हज़ार पाउंड डिपाज़िट के तौर पर मांग लिया और कहा कि जल्दी ही चैक भेज दो ताकि किसी दूसरे ग्राहक को यह पब न दिखाया जाए।
अजमेर अब स्वयं को पब का मालिक समझने लगा था। पब का मालिक बन जाने से उसका मान और बढ़ जाना था। पब का नाम ही बड़ा होता है। पब भी फिंचली में जहाँ के घरों की कीमत आम इलाकों से अधिक हैं। शाम को वह थैच्ड हाऊस में बैठा पॉल से बीयर पीता रहा और भविष्य के प्रोग्राम बनाता रहा।
अगली दोपहर वह काउंटर पर खड़ा था। शिन्दा ऊपर रोटी खाने गया हुआ था। शीला कुछ लेने के लिए दुकान में आई और व्यंग्य में बोली-
''ऐंडी, पब का सौदा हो गया ?''
''हाँ, हो गया। हज़ार पाउंड का चैक एजेंट को भेजना है, बस आज भेज देंगे।''
''ऐंडी, पब वह बढ़िया है, मैंने भी देखा था।''
''फिर तूने क्यों नहीं खरीद लिया ?''
''मैं अकेली हूँ, किधर-किधर होऊँगी। मेरा बेटा-बेटी तो चले गए, यह पॉल भी भरोसे वाला आदमी नहीं, तू भी इससे बचकर रहना।''
''वह कैसे ?''
''देख ऐंडी, तुझे बात साफ़ कर दूँ। इसके पास कोई पैसा-वैसा नहीं है, बिलकुल नंग है। यह चाहता है कि कैश में सारे पैसे तू दे और वह मुफ्त में ही आधे का मालिक बन जाए।''
''यह कैसे हो सकता है। अगर आधे की हिस्सेदारी करनी है तो कैश भी आधा देना पड़ेगा।''
''कितना कैश होगा ?''
''पच्चीस-पच्चीस हज़ार दोनों के हिस्से आएगा।''
''इसके पास तो पाँच सौ पाउंड भी नहीं होगा, इसने बाहर कोई औरत रख रखी है, अपनी सारी तनख्वाह और पब में से पैसे निकाल-निकाल कर उसे खिलाए जाता है... अगर इसके पास पच्चीस हज़ार हो तो मैं न इसे हिस्सेदार रख लेती।''
अजमेर को जैसे साँप सूंघ गया हो। शीला जाते हुए बोली-
''ऐंडी, तू मेरा अच्छा पड़ोसी है, मेरा फर्ज़ है - तुझे आगाह करना, बाकी तू अपनी मर्जी कर।''
शीला एक ही झटके से उसका पब का सपना चकनाचूर कर गई। वह ठगा हुआ खड़ा था। तब तक शिन्दा भी दुकान में आ गया। अजमेर को घबराया हुआ देखकर उसे चिंता हुई। उसने सोचा कि कोई दुकान में से चोरी करके भाग गया है। घंटेभर पहले जब वह दुकान में अकेला था तो एक गोरा लड़का बीयर की बोतल चुरा कर ले गया था। शिन्दा अजमेर को बताने लगा-
''भाजी, आज तो कमाल हो गई। एक गोरा आया, मैं गल्ले पर खड़ा था, उसने फुर्ती से बोतल उठाई और दरवाजा खोल कर भाग गया।''
अजमेर ने उसकी बात सुनी और गुस्से में उबलने लगा और बोला-
''और तू खड़ा देखता रहा ! तुझे तनख्वाह मैं ऐसी चोरियाँ करवाने की देता हूँ ?''
(जारी…)
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